what is ROM (रोम क्या है?)
ROM का पूरा नाम read only memory (रीड ऑनली मैमोरी) है. यह एक non volatile मैमोरी है. यह कंप्यूटरों तथा अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों में डेटा को स्टोर करने का माध्यम है जो permanently डेटा को स्टोर करने का माध्यम है.
RAM तथा ROM में असमानता यह है कि-
- ROM एक non volatile मैमोरी है जबकि RAM जो है वह volatile है.
- ROM में डेटा को permanently स्टोर किया जा सकता है जबकि RAM में permanently नहीं किया जा सकता है.
types of ROM (रोम के प्रकार)
ROM निम्नलिखित तीन प्रकार का होता है:-
1:- PROM
2:- EPROM
3:- EEPROM

what is PROM
PROM का पूरा नाम programmable ROM (प्रोग्रामेबल रीड ऑनली मैमोरी) है. यह एक मैमोरी चिप है जिसे केवल एक बार प्रोग्राम किया जा सकता है.
इसे OTP (one time programmable) चिप भी कहते है.
एक बार जब PROM को प्रोग्राम कर लिया जाता है तो फिर उसमें से डेटा को erase नहीं किया जा सकता है. वह डेटा हमेशा के लिए उस चिप में write हो जाता है.
P.ROM को 1956 में Wen tsing chow ने विकसित किया था. जब कंप्यूटर को बंद कर दिया जाता है तो भी PROM अपने डेटा को contain किये रहता है.
PROM तथा ROM में असमानता यह है कि PROM को जब बनाया जाता है तो इसकी मैमोरी खाली होती है जबकि ROM को बनाते वक्त ही इसे प्रोग्राम कर दिया जाता है.
P.ROM चिप में डेटा को program या write करने के लिए एक डिवाइस की जरुरत होती है जिसे हम PROM programmer या PROM burner कहते है. और इस चिप को write करने की प्रकिया PROM burning कहलाती है.
आजकल PROM का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. इसे EEPROM ने replace कर दिया है.
what is EPROM
EPROM का पूरा नाम erasable programmable ROM (एरेजेबल प्रोग्रामेबल रीड ऑनली मैमोरी) है.
EPROM एक non volatile मैमोरी चिप है इसका अविष्कार 1971 में Dov frohman ने किया था.
जब power supply नहीं होती है तब भी यह डेटा को contain किये रहता है.
EPROM में डेटा को erase किया जा सकता है तथा इसे दुबारा write किया जा सकता है. पराबैगनी (ultraviolet) प्रकाश के द्वारा मैमोरी चिप में से डेटा को erase किया जाता है जिससे कि हम उसे दुबारा write या प्रोग्राम कर सकें.
EPROM में से डेटा को मिटाने तथा दुबारा प्रोग्राम करने के लिए हमें एक विशेष डिवाइस की आवश्यकता होती है जिसे हम PROM programmer या PROM burner कहते है. तथा EPROM में प्रोग्रामिंग की प्रक्रिया को burning कहते है.
प्रोग्रामिंग की गयी EPROM डेटा को 10 से 20 वर्ष तक retain कर सकती है. EPROM के उपर एक क्वाटर्ज़ क्रिस्टल विंडो होती है जिसके द्वारा पराबैगनी प्रकाश डेटा को erase करता है.
EPROM के डेटा को बार बार मिटाने से उसकी सिलिकॉन डाइऑक्साइड लेयर नष्ट हो जाती है जिससे वह अविश्वसनीय बन जाती है. इसलिए EPROM को बार बार erase करना उसके लिए हानिकारक होता है.
PROM के स्थान पर EPROM का इस्तेमाल किया जाता था. परन्तु अब के कंप्यूटरों में EPROM का प्रयोग भी नहीं किया जाता है इसके स्थान पर EEPROM (electrically erasable programmable read only memory) का प्रयोग किया जाता है.
Advantage of EPROM
इसके लाभ निम्नलिखित है:-
1:- यह बहुत ही सस्ता है.
2:- इसे दुबारा प्रोग्राम किया जा सकता है.
3:- जब power supply नहीं होता है तब भी यह डेटा को retain किये रहता है.
4:- इसमें testing और debugging किया जा सकता है.
disadvantage of EPROM
इसकी हानियाँ निम्नलिखित है.
1:- EP-ROM में प्रयोग किये जाने वाले ट्रांजिस्टर का प्रतिरोध बहुत उच्च होता है.
2:- इसमें बिजली की खपत अधिक होती है.
3:- इसमें डेटा को मिटाने के लिए पराबैगनी प्रकाश की जरूरत होती है तथा इसे इलेक्ट्रिकल सिग्नल से नहीं erase किया जा सकता है.
4:- इसमें EEPROM की तरह किसी विशेष बाइट को नही erase किया जा सकता अर्थात् इसमें सभी डेटा erase हो जाता है.
5:- EPROM में डेटा को मिटाने तथा दुबारा प्रोग्राम करने के लिए इसे कंप्यूटर से निकालना पड़ता है.
6:- इसमें प्रोग्रामिंग बहुत ही धीमी होती है.
7:- PROM की तुलना में इसकी कीमत अधिक है.
what is EEPROM
EEPROM का पूरा नाम electrically erasable programmable ROM (इलेक्ट्रिकली इरेजेबल प्रोग्रामेबल रीड ऑनली मैमोरी) है. इसे George perlegos ने इंटेल में 1978 में विकसित किया था.
यह एक non volatile मैमोरी चिप है जिसका प्रयोग कंप्यूटर में छोटी मात्रा में डेटा को स्टोर करने के लिए किया जाता है.
E.EPROM में डेटा बाइट को erase तथा reprogram किया जा सकता है. इसमें डेटा बाइट को इलेक्ट्रिक चार्ज के द्वारा erase किया जाता है. जिससे कि उसे दुबारा प्रोग्राम किया जा सकें.
EEPROM का प्रयोग PROM (programmable read only memory) तथा EPROM (erasable programmable read only memory) के स्थान पर किया जाता है.
E.PROM चिप को erase करने के लिए उसे कंप्यूटर से निकालना पड़ता है परन्तु EEPROM को कंप्यूटर से निकालने की जरूरत नहीं पड़ती है.
EEPROM जो है वह flash memory (फ़्लैश मैमोरी) की तरह होती है परन्तु इनमें असमानता यह है कि EEPROM में एक समय केवल एक डेटा बाइट ही erase या write होता है जबकि flash मैमोरी में डेटा blocks में erase या write होता है. जिसके कारण फ़्लैश मैमोरी EEPROM से तेज है.
types of EEPROM
EEP-ROM दो प्रकार की होती है:-
1:- serial EEPROM
2:- parallel EEPROM
1:- serial EEPROM:- इसमें डेटा ट्रान्सफर serial (क्रमबद्ध) होता है तथा इसकी कार्यविधि बहुत ही जटिल है.
serial डेटा ट्रान्सफर होने के कारण यह parallel से slow (धीमी) है.
2:- parallel EEPROM:- parallel EEPROM जो है वह serial EEPROM से तेज है तथा विश्वसनीय भी है एवम् इसका प्रयोग EPROM तथा फ़्लैश मैमोरी के साथ भी किया जा सकता है.
परन्तु इनका मूल्य अधिक होने के कारण इन्हें बहुत ही कम प्रयोग किया जाता है.
advantage of EEPROM
EEP ROM के लाभ निम्नलिखित है.
1:- इसमें इलेक्ट्रिकल विधि से डेटा को erase किया जाता है जो कि तेज विधि है.
2:- इसमें हम पूरे डेटा को मिटा सकते है. और डेटा एक बाइट को भी.
3:- डेटा को erase करने के लिए इसे कंप्यूटर से नहीं निकालना पड़ता है.
4:- इसे प्रोग्राम करना बहुत ही आसान है.
5:- EEP-ROM को अनगिनत बार reprogram किया जा सकता है.
disadvantage of EEPROM
इसकी हानियाँ निम्नलिखित है:-
1:- EEPROM जो है वह prom तथा eprom की तुलना में महंगी है.
2:- इस में डेटा को read, write, तथा erase करने के लिए अलग अलग वोल्टेज की आवश्यकता होती है.
3:- यह डेटा केवल लगभग 10 वर्ष तक retain कर सकता है.
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